कल उसने एक रात ओढ़ी थी
कल उसने एक रात ओढ़ी थी;
चाँद को माथे पर लगाया था।
एक डिब्बी जुगनू लपेट;
अंगुली भर तारे समेट;
रात की रानी के साथ पिरो -
बालों में गजरा लगाया था।
चाँद को माथे पर लगाया था।
एक डिब्बी जुगनू लपेट;
अंगुली भर तारे समेट;
रात की रानी के साथ पिरो -
बालों में गजरा लगाया था।
कल कलाई पर कुछ क्यारियाँ,
एक कालीन हथेली पर
सजा कुछ तितलियों से
और तर्जनी पर सूरज किरन;
उसने चंदन इत्र उढ़ेल
आँचल पर गुलशन महकाया था।
एक कालीन हथेली पर
सजा कुछ तितलियों से
और तर्जनी पर सूरज किरन;
उसने चंदन इत्र उढ़ेल
आँचल पर गुलशन महकाया था।
उसने चंद्रमुख बेला पिरो
लक्ष्य रस में डुबो कर,
कल एक पाँव में बाँध
और दूसरे में खरी चांदनी,
मनभावन मृग चाल से
बीहड़ में सरगम खनकाया था।
लक्ष्य रस में डुबो कर,
कल एक पाँव में बाँध
और दूसरे में खरी चांदनी,
मनभावन मृग चाल से
बीहड़ में सरगम खनकाया था।
***
Mind blowing
ReplyDeleteनिःशब्द
ReplyDeleteहंस सदृश निश्छल त्यौरियां
ReplyDeleteकानों पर झिंगुरी बालियां
होंठ गंगा की कलकल हिलोरे
नाक अल्हड़ पंछियों की कतार
आंखे तारों सी क्षितिज पर चमकती
स्याह बादलों का काजल लगाया था।
धीमे पाज़ेबो की खनक
रेत के ऊपर सन्नाटे सी
झिलमिल सितारों के बीच
पलटकर देखती बुलबुल आँखें
झीनी साड़ी हाथों में थामें
लजाकर दौड़ लगाया था।
Wow! Beautiful ❤️
DeleteThanks (+_+)
Deleteबहुत सुन्दश्र Harsh एवं नैना। Discovering this new Naina other than her twitter persona
ReplyDelete