रत्न - मंजूषा



एक हाथ की टिक टिक
जो अब बंद हो चुकी है,

धूप का चश्मा,
गले की चेन
चमड़े की ब्राउन बेल्ट,
नीली स्याही की एक बोतल और इंक पेन,

प्रेमचंद की दो कॉपियां,

टूटा हुआ स्टेपलर,
फटा हुआ बटुआ,

कुछ पुरानी रसीदें,
परिवार की दर्जन भर तसवीरें

और एक आधी भरी हुई डायरी;

बाबूजी के बक्से में ये सब मिला |

*** 

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